Dua E Masura In Hindi । दुआ ए मसुरा हिंदी, इंग्लिश और अरबी में

आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास व उम्दा दुआ यानी कि Dua E Masura In Hindi में जानेंगे हमने यहां पर दुआ ए मसुरा हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश के साफ़ और आसान लफ्ज़ों में बताया है।

जिसे आप आसानी से पढ़ कर अपने जेहन में भी बसा लेंगे और नमाज में सही से दुआ ए मसुरा पढ़ सकेंगे, यकीनन इसके बाद फिर आपको कहीं पर भी दुआ ए मसुरा नहीं खोजनी पड़ेगी इसीलिए आप ध्यान से पढ़ें।

Dua E Masura In Hindi

अल्लाहुम्मा इन्नी जलम्तु नफ्सी जुल्मन कसीरंव‌ वला यग्फिरूज् जुनूबा इल्ला अन्ता फग़फिरली मगफिरतम मिन इनदिका व रहमनी इन्नका अन्तल गफूरुर्रहिम

Dua E Masura In Hindi
Dua E Masura In Hindi

Dua E Masura In Arabic

اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ

Dua E Masura In Arabic

Dua E Masura In English

Allahumma inni Zalmtoo Nafsi Zulman Kaseeranw Walaa YaGfiruz Zunubaa illa Anta Fagfirlee Magfiratam Min in Deeka Wa Rahamni innaka Antal Gafururraheem

Dua E Masura Ka Tarjuma

ऐ अल्लाह मैंने अपनी जान पर बहुत ज़ुल्म किया है और बेशक तेरे सिवा गुनाहों का बख़्शने वाला कोई नहीं है तू अपनी तरफ से मेरी मगफिरत फरमा और मुझ पर रहम कर बेशक तू ही तो बख्शने वाला मेहरबान है

दुआ ए मसुरा कब पढ़ी जाती है?

नमाज में हमेशा दुआ ए मसुरा सिर्फ कादाए आखिरा में पढ़ी जाती है यानी कि जब नमाज में आख़िरी रकात के दोनों सज्दें मुकम्मल हो जाए।

तो बैठने के बाद सबसे पहले अत्तहियात पढ़ें इसके बाद दरूदे इब्राहिम पढ़ें इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़ें और सलाम फेर कर नमाज मुकम्मल करें।

एक बात का ध्यान रखें कि नमाज में दुआ ए मसुरा के बाद कुछ भी नहीं पढ़ी जाती है इसके बाद नमाज मुकम्मल करने के लिए सलाम ही फेरना होता है।

यही एक ऐसी दुआ है जिसे हम सब नमाज में यानी नमाज के अन्दर पढ़ी जाती है इसकी वजह भी आप नीचे पढ़ेंगे तो जान कर समझ जाएंगे।

यह बात रही नमाज की अगर आप चाहें तो इस दुआ ए मसुरा को कभी भी या दुआ वगैरह में भी पढ़ कर खुशनुदी हासिल कर सकते हैं।

दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?

दुआ ए मसुरा पढ़ने का तरीका बहुत ही साफ और एकदम सिम्पल है हमने उपर में यह बात आपको बताया कि दुआ ए मसुरा सबसे आखिर में ही पढ़नी होती है।

आप दुआ ए मसुरा का अल्फाज़ इसी तरह से पढ़ेंगे जब नमाज में अत्तहियात के बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ लें दुआ ए मसुरा इसी तरह पढ़ी जाती है।

दुआ ए मसुरा से जुड़ी एक हदीस

एक हदिस के मुताबिक अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है कि हज़रत अबु बकर सिद्दीक रजियल्लाहो तआला अन्हुं प्यारे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पेशे खिदमत हाजिर होकर अर्ज़ करते हैं की

अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिनों अब तक तो आप भी दुआ ए मसुरा और नमाज में दुआ ए मसुरा पढ़ने का सही तरीका भी जान गए होंगे हमने यहां पर दुआ ए मसुरा को हिंदी अरबी और इंग्लिश में लिखा जिसे आप अपने फेवरेट लैंग्वेज में पढ़ कर आसानी से समझ कर याद भी कर लें और अमल में लाएं।

अगर इसे पढ़ने के बाद भी आपके जहन में कोई डाउट हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सभी सवालों का जवाब जरूर देंगे साथ ही जिन्हें ना मालुम हो उन तक नीचे की शेयर बटन के ज़रिए जरूर पहुंचाएं जिसे सभी लोग सही और आसानी से दुआ ए मसुरा पढ़ना सीख जाएं।

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