Dua Mangne Ka Tarika । दुआ मांगने का सही तरीका जानिए

आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास व दिलचस्प मालूमात यानी कि अल्लाह तआला से दुआ मांगने का सही तरीका जानेंगे हमने यहां पर Dua Mangne Ka Tarika बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में बताया है।

अगर आप इस तरीके से दुआ करेंगे तो यकीनन आपकी दुआ बारगाहे इलाही में कबूल होगी और आपकी हर नेक व जायज़ दुआ अल्लाह तआला कबूल फरमाएगा इसीलिए आप यहां पर ध्यान से पढ़ें और समझें।

Dua Mangne Ka Tarika

  • दुआ मांगने के लिए सही तरीक़े से किब्ले यानि काअबा शरीफ की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
  • अगर आप खड़े रह कर भी दुआ करें तो कोशिश करें कि काबा शरीफ़ की ओर रुख कर लें।
  • अगर बैठे तो इस तरह से बैठें की आपका बायां पैर बिछा हुआ हो और दाहिना उंगली पर टिका हो।
  • जिस तरह से तशहहुद यानि अत्तहियात पढ़ते समय नमाज में बैठा जाता है।
  • फिर दोनों हाथ को कांधे या सीने के सिद्ध तक उठाए या इतना ध्यान रखें कि चेहरा से उपर हाथ न उठे।
  • अपने दोनों हाथों की हथेलियों को आसमान की ओर करें ऐसा करना सबसे दुरुस्त तरीका माना जाता है।
  • क्योंकि ऐसी सूरत में हथेलियां आसमान की तरफ खुली रहती है और दुआ का किब्ला आसमान है।
  • इसके बाद आप दुरूद शरीफ पढ़ कर अपने दिल से सभी बातों को खुदा तक पहुंचाएं।
  • सबसे पहले आपको अल्लाह की तारीफ बयां करना चाहिए।
  • इसके बाद सबसे शुरू अपने लिए दुआ कीजिए कुछ इस तरह से की।
  • ऐ अल्लाह हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम के सदके हमे नेक और ईमानदार बना।
  • अपने लिए हर प्रकार की दुआ करने के बाद जैसे अपनी सेहत के लिए।
  • अपने इल्म के लिए अपनी तंदुरुस्ती अपनी शिफा और आखिरत के लिए।
  • इतना दुआ करने के बाद अपने मां बाप के लिए दुआ करें।
  • सभी दुआओं को नरम लहजे और धीमे से आवाज में कहे।
  • और अपने गुनाहों को इकरार जरूर करें दोनों तरीका मुस्तहब माना जाता है।
  • इसके बाद अपने घर परिवार के सभी लोगों के लिए दुनिया की भलाई के लिए।
  • और अपनी आखिरत की भलाई के लिए हुजूर के सदके कहते हुए दुआ करें।
  • फिर इसके बाद लोगों के लिए और दुनिया की खातिर भी दुआ करें।
  • इस तरह की ए दोनों जहान के मालिक रब ए कायनात इस दुनियां के सभी लोगों को परेशानी से निजात फरमा।
  • अपने रब के सामने रोए गिड़गिड़ाए इस तरह से कि जैसे एक बच्चा अपनी मां के सामने अपनी इच्छा पूरी कराने के लिए रोता गिड़गिड़ाता है।
  • इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने दिल के अंदर अच्छा से नियत करने के बाद।
  • सभी इच्छाओं को अपने रब को सुनाना सबसे अफजल माना जाता है हमारा रब सवाल करने वाले बंदों को पसंद करता है।
  • सभी दुआओं को कम से कम तीन मर्तबा जरुर बोलें, इसे दुरुस्त तरीका माना जाता है।
  • अपने दिल में नेक इरादा कर ले आपकी सभी बातें अल्लाह तक जरूर जाएगी।
  • अपने खूब शौक और लगन के साथ दुआ करें दिल से पूरी कोशिश व लगन से दुआ मांगे।
  • और दिल पूरी तरह मुतवज्जह हो और अल्लाह से गुमान रखें।
  • सब अपने लिए घर वालों के लिए और दुनिया वालों के लिए दुआ कर ले।
  • तो आखरी वक्त पर ऐसा जरूर कहें की ऐ अल्लाह तू दिलों की बात जानता है हमारे नेक व जायज़ तमानाओं को पुरा फरमा।
  • सभी बन्दों पर निगाह ए करम फरमा, तू सभी की नेक ख्वाहिशों को पुरा फरमा।
  • सभी को बुरे कामों से बचने की तौफीक व रफीक अदा फरमा।
  • इन सभी बातों को कहने के बाद अंत में इसे भी जरूर पढ़े।
  • रब्बना आतिना फिद दुनियां ह स न तवं व फिल आखिरती ह स न तवं व किना अजबन्नार इसके बाद दुरूद शरीफ अंत में पढ़े।
  • सबसे आखरी वक्त में यानी उठने से पहले अपने दोनों हाथों के सहादत और अंगूठे की उंगली को मिलाकर कलिमा शरीफ यानि ला इल्लाह इल अल्लाहु मुहम्मदूर् रसूलल्लाह कह कर चूम लें।

Dua Karne Ka Tarika

  • किब्ला की तरफ मुंह करके बैठना।
  • हाथों को आसमान की ओर करना।
  • मांगने वालों की तरह दोनों हाथ उपर रखना।
  • दोनों हाथों को खुला रखना।
  • इसके बाद दुरूद शरीफ पढ़ना।
  • अपने लिए हर तरह से दुआ करना।
  • मां बाप घर वालों के लिए दुआ करना।
  • दुनियां की भलाई के लिए दुआ करना।
  • हर दुआ को कम से कम तीन बार बोलना।
  • फिर आखिरी में भी दुरूद शरीफ़ पढ़ना।

दुआ के लिए सही वक्त

यहां पर कहने का यह मतलब है कि किस समय तथा किन परिस्थितियों में दुआ की कबूलियत की ज्यादा उम्मीद होती है:

फर्ज नमाज़ों के बाद
तहज्जुद की नमाज़ के बाद
रोज ए इफ्तार के वक्त
रमज़ान के पूरे महिने
शब ए बारात की रात
शब ए कदर की रात
शब ए मेराज की रात
परेशानी के वक्त
बारिश के वक्त
हज के वक्त
अज़ान व इकामत के वक्त
जुम्मा के दिन
अरफा के पुरा दिन
जुमेरात की रात को
जंग के दौरान
कुरान की तिलावत के बाद
जम जम की पानी पीते वक्त

अभी तक तो आपने इतना जाना कि दुआ कैसे और कब करना चाहिए अब आईए आगे जानते हैं कि कौन कौन सी दुआ नहीं करनी चाहिए।

कौन सी दुआ नहीं करनी चाहिए?

यहां पर बताए हुए जितनी भी बातें हैं ऐसी दुआ कभी नहीं करनी चाहिए ना ही दुआ करते वक्त इन बातों को शामिल करना चाहिए।

#1. दुआ में हद से न बढ़े

इसका अर्थ यह है कि ऐसी दुआ ना करें जो नामुमकिन हो जैसे आसमान पर चढ़ने की तमन्ना करना इसी तरह से जो चीजें मुहाल या करीब ब मुहाल है उसे ना मांगे हमेशा के लिए तंदुरुस्ती और आफियत दुआ ना मांगे।

#2. लग्व और बे फ़ायदा दुआ न करें

ऐसी दुआ ना करें जिसका असर आप पर किसी फायदा के रूप में ना हो, और ऐसी दुआ ना करें जो आपके लिए आगे चलकर परेशानी का मकसद बने जैसे इतनी पानी दे की सब खत्म हो जाए फिर पानी खत्म होने की दुआ करना।

#3. गुनाह की दुआ न करें

इस प्रकार की दुआ ना करें जैसे मुझे पराया माल मिल जाए या कोई फहिशा जिना करे की गुनाह की तलब भी गुनाह है।

#4. ताल्लुक तोड़ने की दुआ

किसी भी तरह का ऐसी दुआ ना करें जिसमें जिक्र किसी अजीजों से ताल्लुक तोड़ने की हो, जैसे कि इस तरह से दुआ न करें फुलां व फुलां रिश्तेदारों में लड़ाई हो जाए।

#5. मरने की दुआ न मांगे

कभी भी ऐसी दुआ ना करें जिसमें आप अपने लिए ही मौत की दुआ मांग रहे हैं वह इस प्रकार है कि कुछ लोग रंजो मुसीबत से घबराकर अपने मरने की दुआ करने लगते हैं, नाही किसी को मरने की दुआ करें।

#6. किसी के लिए खराबी की दुआ न करें

किसी भी मोमिन के लिए यह दुआ ना करें कि वह मुसीबत में पड़ जाए वह काफिर हो जाए ऐसी दुआ करना खुद को गुनाहगार बनाना है।

#7. सिर्फ खुद की अच्छाई के लिए दुआ न करें

ऐसी कोई दुआ ना करें जिसमें सिर्फ खुद की भलाई का जिक्र हो जैसे इलाही तू मेरी मदद और मगफिरत कर बाकी किसी का भी मदद और मगफिरत नहीं कर ऐसी और भी बातें होती है जिसका जिक्र दुआ में कभी नहीं करना चाहिए।

अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिनों अब तक तो आप भी दुआ मांगने का सही तरीका बहुत ही आसानी से समझ गए होंगे हमने यहां पर तमाम बातें अपनी जानिब से बहुत ही आसान और सरल शब्दों में बताया था जिसे आप आसानी से दुआ करना सीख जाएं और सही से दुआ कर सकें।

अगर इसे मुकम्मल पढ़ने के बाद भी आपके जेहन में दुआ मांगने से सम्बन्धित कोई सवाल या फिर किसी तरह का कोई डाउट भी हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें साथ ही इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं जिसे सभी आशिक ए रसूल सही से दुआ मांग सकें।