आज यहां पर आप एक बहुत ही ख़ास और ज़रूरत की इल्म यानी ग़ुस्ल फ़र्ज़ होने की वजह जानेंगे, क्योंकी हमने यहां पर Ghusl Kin Cheezon Se Farz Hota Hai इसकी मुक्कमल जानकारी बयां की है।
जिसे पढ़ने के बाद आप आसानी से समझ पाएंगे कि हमारे लिए ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ होगा यहां पर हर औरत और मर्द के लिए ग़ुस्ल फ़र्ज़ होने की वजह डिटेल में बताई गई है इसीलिए आप पूरा लेख आख़िर तक ध्यान से पढ़ें।
Ghusl Kin Cheezon Se Farz Hota Hai
निम्नलिखित चीजों से हर औरत और मर्द पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ होता है:
- मनी यानी स्पर्म का अपनी जगह से निकलने से
- सो कर उठने के बाद कतरे को पाए जाने से
- औरत और मर्द का हमबिस्तर हो जाने से
- औरत का हैज़ से फारिग हो जाने से
- औरत का निफास से फारिग हो जाने से
इन पांच वजहों से हर औरत और मर्द पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ होगा अब आईए हर वजह को डिटेल्स में समझने की कोशिश करते हैं।
#1. मनी यानी स्पर्म का अपनी जगह से निकलने से
आप ने उपर में पढ़ा कि मनी का अपनी जगह से निकलने पर ग़ुस्ल करना ज़रूरी होता है लेकीन इसमें भी यह जान लें कि कभी कभी मनी ऐसे भी निकल जाता है।
ऐसे में ग़ुस्ल वाजिब नहीं लेकीन वजू जाता रहेगा कभी ऐसा भी हुआ कि मनी शहवत के बाद न निकली या आपने निकलने से दबा ली फिर वो बाद में निकली तो ग़ुस्ल वाजिब होगा।
अगर मनी पतली पड़ गई कि पेशाब के वक्त या वैसे ही कुछ कतरे बिना शहवत के निकल आए तो ग़ुस्ल वाजिब नहीं लेकीन यहां भी वजू जाता रहेगा।
#2. सो कर उठने के बाद कतरे को पाए जाने से
एहतिमाल नाइटफॉल यानी की सो कर उठने के बाद बदन या कपड़े पर तरी पाई चाहे वह किसी भी प्रकार के क्यूं ना हो तो ऐसे में आप का ग़ुस्ल वाजिब है।
किसी ख्वाब की वजह से मनी निकल रही थी लेकीन आपने इसे दबा लिया फिर बाद में आ गई तो ऐसे में भी ग़ुस्ल करना ज़रूरी हो जाता है।
कभी कभी ऐसा भी होता है की एहतिलाम तो याद है लेकीन जब देखा तो कपड़े वगैरा पर कोई असर नहीं तो इस हालत में ग़ुस्ल वाजिब नहीं होगा।
मर्द व औरत एक ही चारपाई पे सोये और उठने के बाद बिस्तर पर मनी पाई ऐसे में दोनों के लिए ग़ुस्ल ज़रूरी है किसी एक पर पाया तो उसके लिए फर्ज है।
औरत को ख्वाब हुआ लेकीन औरत की पेशाब की जगह से नहीं निकली तो फर्ज नहीं अगर तरी बदन या कपड़ा पे पाई जाती है तो ग़ुस्ल ज़रूरी है।
#3. औरत और मर्द का हमबिस्तर हो जाने से
आपने छोटे से लाइन में उपर में ही पढ़ा की हमबिस्तर हो जाने पर ऐसे हालत में अगर मनी ना भी निकले तो भी दोनों को ग़ुस्ल करना ज़रूरी है।
अगर इंजाल आकिल बालिग हो यानी इंटरकोर्स आकिल बालिग के बीच हो तो सिर्फ बालिग पर ग़ुस्ल फर्ज है और नाबालिग पर फर्ज नहीं फिर भी ग़ुस्ल की हुक्म है।
औरत ने अपने फर्ज में यानी शोहबत की जगहों पर उंगली या जानवर या मुर्दे की जकर या फिर रबड़ का जकर बना कर अपने अन्दर डाली और मनी निकल आई तो ग़ुस्ल फर्ज है।
#4. औरत का हैज़ से फारिग हो जाने से
यह बहुत ही आम मसला है आज कल हमारी इस्लामी मां बहनों के लिए हैज़ अय्याम यानी माहवारी से फारिग होना जब भी हैज़ आना बंद हो जाए तो ग़ुस्ल ज़रूरी है।
#5. औरत का निफास से फारिग हो जाने से
आपने उपर में ही जाना की निफ़ास से फारिग होने के बाद यानी जब भी आगे के मकाम से खून का आना बंद हो जाए तो ऐसे में ग़ुस्ल फर्ज है।
निफास का ज्यादा से ज्यादा मुद्दत 40 दिन है अगर 40 दिन के बाद भी बन्द न हो तो वह मर्ज है जैसे ही पूरे 40 दिन हो जाए तो ग़ुस्ल कर लेना चाहिए।
FAQs
औरत नापाक कब होती है?
हैज और निफास साथ ही शोहबत करने पर औरत नापाक होती है।
औरत पर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है?
औरत यानी हमारी मां बहनों पर मनी निकलने पर और हैज व निफास से फारिग होने पर ग़ुस्ल फर्ज होता है।
मर्द नापाक कब होता है?
जब उसका मनी ख़्वाब इरादा या शोहबत करने से डिस्चार्ज हो जाता है तो मर्द नापाक हो जाता है।
मर्द पर ग़ुस्ल कब फर्ज होता है?
जब मर्द इरादा और शोहबत करे और मनी निकल जाए तो उस पर ग़ुस्ल फर्ज होता है।
अंतिम लफ्ज़
मेरे प्यारे मोमिनों अब तक तो आप भी बहुत ही आसानी से यह पढ़ कर समझ गए होंगे कि हम मोमिनों पर किन किन चीजों से ग़ुस्ल फ़र्ज़ होता है क्योंकी हमने यहां पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ होने की वज़ह बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में बताया था जिसे आप आसानी से समझ जाएं।
अगर इसे मुकम्मल पढ़ने के बाद भी आपके मन में ग़ुस्ल की फर्ज़ होने से सम्बन्धित कुछ डाउट या फिर कोई सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सभी कन्फ्यूजन जरूर दूर करेंगे इंशाल्लाह तआला और इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
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