Shab E Barat Ki Fazilat In Hindi । शब ए बरात की फजीलत जानें

आज के इस खूबसूरत पैग़ाम में आप एक बहुत ही उम्दा रात की फजीलत यानि कि Shab E Barat Ki Fazilat In Hindi जानेंगे जिस रात का इंतजार हम सब को रहता है।

हमने यहां पर शब ए बारात की फजीलत हिंदी लैंग्वेज के साथ साथ बहुत ही साफ़ और आसान लफ़्ज़ों में लिखा है जिसे आप आसानी से पढ़ कर समझ जाएं।

इसे पढ़ने के बाद आप शब ए बारात की रात खूब दिल व जान से इबादत करेंगे इसीलिए आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें और शब ए बारात की रात खूब इबादत करें।

Shab E Barat Ki Fazilat In Hindi

शब ए बरात कि रात अल्लाह तआला आसमाने दुनिया पर तजल्ली फरमाता है और बहुत सारे बन्दों कि गुनाहों की मगफिरत करता है।

अल्लाह तआला का फरमान ए आलिशान है कि शबे बरात की रात दो रकात नमाज पढ़ना चार सौ बरस की इबादत से बेहतर होगा।

इस रात में की गई दुआ कुबूल होती है मुहम्मदे अरबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने शाबान की पन्द्रहवीं रात के बारे में फ़रमाया कि इस रात की दुआ रद्द नहीं की जाती।

अगर कोई इस रात में सूरह दुखान पढ़े तो पढ़ने वाले की हक में सुबह तक सत्तर हजार फ़रिश्ते मग़फिरत व बख़्शिश की दुआ करते हैं।

शब ए बरात में 100 रकात नफ्ल नमाज पढ़ने से एक सौ फ़रिश्ते तीस जन्नत कि खुश खबरी, तीस दोजख के अजाब, तीस दुन्या की आफत दुर करेंगे और 10 शैतान के जाल से बचाएंगे।

Shab E Barat Ki Fazilat Hadees

एक बेहतरीन हदिस ए पाक के मुताबिक रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया खुशखबरी है उस शख्स के लिए जो शाबान की पन्द्रहवीं शब में अमल ए खैर करे।

एक और उम्दा हदिस ए पाक के मुताबिक रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिसने शाबान की पन्द्रह तारीख का रोजा रखा उसको कभी आग न छुएगी।

इसी तरह एक और खास हदिस के मुताबिक बेशक अल्लाह तआला अज्जावजल्ला महर बानी फरमाता है।

मेरी उम्मत के गुनहगारों पर शाबान की पन्द्रहवीं रात शबे बरात में कबीला बनी कल्ब व कबीला रबी और मुदिर की बकरीयों के बालों की तादाद के बराबर लोगों की बख़्शिश व मग़फिरत होता है।

आप भी जानते ही होंगे कि बनी कल्ब, रबी और मुदिर यह अरब के तीन मशहूर कबीले हैं इन तीनों कबीलों के पास बहुत ज्यादा बकरियां थी।

रिवायत है कि इन के हर एक कबीले की लोगों की बकरीयों की तादाद बीस हजार से ज्यादा थी।

इस इरशाद से मुराद यह है कि इस मुबारक रात की बरकात इस कदर ज्यादा है कि अल्लाह तआला अज्जावजल्ला उम्मत के गुनहगारों की बड़ी तादाद को बख़्शिश व मग़फिरत फरमाता है जो बेशुमार व बेहिसाब है।

एक हदिस के मुताबिक हज़रत अबु बक्र सिद्दिक रदिअल्ला तआला अन्हुं से रिवायत है फ़रमाया कि इरशाद फरमाया रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कि ऐ लोगो शाबान की पन्द्रहवीं रात को उठो बेशक शाबान की पन्द्रहवीं रात लयलतुल मुबारका है पस बेशक अल्लाह तआला अज्जावजल्ला इस रात इरशाद फरमाता है कि क्या मुझ से बख़्शिश व मग़फिरत का चाहने वाला है कि मैं उसकी मग़फिरत कर दूं।

शबे बरात पर हुज़ूर गौसे पाक का फरमान

हुज़ूर गौसे आज़म महबूब सुब्हानी सय्यिदिना शाह अब्दुल कादिर मुहीउद्दीन जिलानी रदीअल्लाह अन्हों ने फ़रमाया शाबान में पांच हर्फ हैं शीन , ऐन‌ , बा ,‌ अलिफ , नून हर हर्फ एक फैजान लेकर आता है और इशारा करता है शीन शराफत, ऐन उलु व बुलंदी, ब बिर यानी नेक, अलिफ यानी मुहब्बत अखुव्बत और नून नूर लेकर आता है गोया इस महिने में शरफ , बुलन्दी , नेकी, मुहब्बत व उलफत और नूर का नुज़ूल होता है।

शबे बरात की चार ख़ास नाम

  1. लयलतुल बरात – निजात वाली रात
  2. लयलतुर रहमा – रहमत वाली रात
  3. लयलतुल मुबारका – बरकत वाली रात
  4. लयलतुश‌ शाक – परवाना मिलने चैक मिलने वाली रात

शबे बरात की किन लोगों की मगफिरत नहीं होती ?

जन्नती सहाबी हजरते उबय बिन का’ब रजियल्लाहु अन्हुं यह फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास हजरते जिब्रिल अलैहि सलाम शबे बरात में हाजिर हुए और मुझ से कहा कि उठ कर नमाज अदा फरमाइये और अपना सर और हांथ मुबारक आस्मान कि तरफ उठाइए मैंने पुछा ऐ जिब्रिल यह कैसी रात है।

अर्ज कि या मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ये वो रात है कि जिसमें आसमान और रहमत के 300 दरवाजे खोल दिए जाते हैं अल्लाह पाक के साथ शरीक ठहराने वालों, आपस में बुग्ज व किना रखने वालों, शराबीयों और बदकारो के अलावा सब की मगफिरत कर दी जाती है।

अंतिम लफ्ज

मेरे प्यारे मोमिनों अब तक तो आप भी आसानी से शब ए बरात की फजीलत पढ़ कर समझ गए होंगे और इसकी फजीलत जान कर खूब सारे नेक अमल इस रात को करेंगे।

जिससे आपकी हर तरह की गुनाहों की मगफिरत हो सके और आपकी हर नेक व जायज़ जरूरत और ख्वाहिश पूरी हो सके हमने यहां पर सभी लफ्ज़ को साफ और आसान लफ़्ज़ों में लिखा था।

जिससे आप पढ़ कर आसानी से समझ सकें अगर इसे पढ़ने के बाद कोई डाउट या फिर किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन भी हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट करके जरूर पूछें।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of AlNaza. I'm a Sunni Muslim From Jannatabad, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

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